
आज 5 फरवरी वसंत पंचमी (Basant Panchami) और सरस्वती पूजा (Saraswati Puja) :
आखिर क्यों मनाया जाता है बसंत पंचमी क्या है इसके पीछे का राज आइए जानते हैं
क्या आप जानते हैं कि बसंत पंचमी वाले दिन मौसम बदलती हैं आज के दिन कई प्रांतों में कई क्षेत्रों में मां सरस्वती की पूजा होती है।
ब्रह्मांड की संरचना करते समय ब्रह्मा जी ने मनुष्य को बनाया लेकिन उनके मन में दुविधा थी । उन्हें चारों तरफ सन्नाटा महसूस हुआ तब उन्होंने अपने कमंडल से चल छिड़ककर एक देवी को जन्म दिया । जो उनकी मानस पुत्री कहलायी। जिन्हें हम सरस्वती देवी के रूप में जानते हैं। इस देवी के जन्म होने पर वहां मां सरस्वती जी का प्राकट्य होता है । उस रूप में एक हाथ में माला है, एक हाथ में पुस्तक है, एक हाथ में बिणा है, और एक हाथ आशीर्वाद की इस मुद्रा में, चतुर्भुजी हैं। जब मां सरस्वती जी का प्राकट्य वहां पर हुआ तो ब्रह्मा जी बड़े प्रसन्न हुए । उनके जन्म के बाद उनसे वीणा वादन को कहा गया । तब देवी ने स्वर को धरती पर बिखेरा तो धरती पर कंपन हुआ और मनुष्य को वाणी मिली और धरती का सन्नाटा खत्म हो गया।
धरती पर कंपन हर जीव जंतु, वनस्पति एवं जलधार में एक एक को आवाज आभास शुरू हो गए और सब में चेतना का संचार होने लगा । इसलिए इस दिवस को स्वरस्वती दिवस के रूप में मनाया जाता है।
आइए जानते हैं इसके पीछे पौराणिक कथाओं का रहस्य
पौराणिक कथा के अनुसार जब रावण ने माता सीता का अपहरण किया था। तब सीता ने अपने आभूषणों को धरती पर फेंका था । जिससे उनके अपहरण मार्ग की जानकारी भगवान राम को मिल सके । उन एक-एक आभूषण के जरिए सीता को राम ने तलाशना शुरू कर दी । उसी खोज के दौरान दंडकारण्य जहां, वे सबरी से मिले । जहां वह सबरी के बेर खाकर सबरी के जीवन का उद्धार किया ।कहा जाता है वह दिन बसंत पंचमी का दिन था । इसलिए आज भी इन स्थानों पर सबरी माता के मंदिर में बसंत उत्सव मनाया जाता है।
या देवी सर्वभूतेषु विद्या रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।।
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