ओमीक्रॉन से फेफड़ों को नुकसान न के बराबर :रिसर्च
कई वैज्ञानिको का कहना है की जल्द होगा कोविड का खात्मा

मुंबई :डेमोक्रेटिक इंडिया न्यूज़ डेस्क (अतुल तिवारी )
छह शोध समूहों का निष्कर्ष : गले में ज्यादा असर करता है ओमीक्रॉन, गंभीर बीमारी का दर कम.
ओमीक्रॉन कोविड संस्करण में फेफड़ों की तुलना में गले को संक्रमित करने की अधिक संभावना है, वैज्ञानिकों का मानना है कि यह वायरस के अन्य संस्करणों की तुलना में अधिक संक्रामक है लेकिन कम घातक प्रतीत होता है। छह अध्ययन – क्रिसमस की पूर्व संध्या के बाद से चार प्रकाशित – ने पाया है कि ओमाइक्रोन लोगों के फेफड़ों को उतना नुकसान नहीं पहुंचाता जितना कि डेल्टा और कोविड के अन्य पिछले रूपों ने पहुंचाया है। अध्ययनों की अभी तक अन्य वैज्ञानिकों द्वारा समीक्षा की जानी बाकी है।
यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन में वायरोलॉजी के प्रोफेसर दीनन पिल्ले का मानना है की , “यह वैरिएंट कोविड के उन सभी उत्परिवर्तनों का नतीजा है जो ओमाइक्रोन को पिछले रूपों से अलग बनाता हैं, यह विभिन्न प्रकार की कोशिकाओं को संक्रमित करने की अपनी क्षमता को बदल सकता है।”
“संक्षेप में, यह ऊपरी श्वसन पथ – गले में कोशिकाओं को संक्रमित करने में अधिक सक्षम दिखता है। किन्तु फेफड़ों की कोशिकाओं कम असर दिखा पता है । हालांकि यह प्रारंभिक शोध है लेकिन अध्ययन उसी दिशा में इशारा करते हैं।”
ओमीक्रॉन वायरस गले में अधिक संक्रमण है, जिससे यह अधिक लोगो को संक्रमित करता है, वही दूसरा कोविड वेरिएंटजो फेफड़ों को संक्रमित करते थे वो अधिक खतरनाक थे लेकिन कम संक्रमणीय थे ।
“शुरुआती संकेत हैं कि यह अच्छी खबर है, लेकिन यह हमारे कोरोना अनुरूप बरताव छोड़ने का संकेत नहीं है, क्योंकि यदि आप चिकित्सकीय रूप से कमजोर हैं, तो परिणाम अभी भी बहुत अच्छे नहीं हैं – ओमाइक्रोन से मौतें होती हैं। मास्क का उपयोग करें और भीड़ भाड़ वाले जगहों पर जाने को टाले.